कितना हसीन होता है समुंदरक्या कुछ नहीं होता उसके अंदरएक गहरी गहराई उसमें होती है…लहरों की ऊँचाई भी तो उसकी ही होती हैमोती की ख़ूबसूरती ढक के जीता हैकिनारों की ख़ुशी सबको देता हैगुमसुम हो के कभी खुद में ही छिपा रहता हैतो कभी तूफ़ानों को उकसा के
आसमान को छूने की कोशिश करता है
हम इंसान भी तो हैं एक समुंदरक्या कुछ नहीं होता अपने अंदरहोता है हर एक में ग़मों का भंवरफिर भी जीते हैं हम हो के मस्त कलंदर
-- गणेश
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