Saturday, October 11, 2025

समुंदर

कितना हसीन होता है समुंदर

क्या कुछ नहीं होता उसके अंदर

एक गहरी गहराई उसमें होती है…

लहरों की ऊँचाई भी तो उसकी ही होती है

मोती की ख़ूबसूरती ढक के जीता है

किनारों की ख़ुशी सबको देता है

गुमसुम हो के कभी खुद में ही छिपा रहता है

तो कभी तूफ़ानों को उकसा के

         आसमान को छूने की कोशिश करता है

हम इंसान भी तो हैं एक समुंदर

क्या कुछ नहीं होता अपने अंदर

होता है हर एक में ग़मों का भंवर

फिर भी जीते हैं हम हो के मस्त कलंदर

 

-- गणेश

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