तूने ही तो दी है ये ज़िंदगी…
मुझे जीना तो सिखा दे…
मंज़िलों की ओर जाए ऐसी एक राह तो दिखा दे…
जी तो मैं रहा हूँ पर ज़िंदा होने का एहसास मुझे करा दे…
मुझे अपनी ख़ुशी से मिला दे…
या रब्बा… मुझे अपनी ख़ुशी से मिला दे…
खोई हुई क़िस्मत मुझे मिला दे,
इतना तो करम कर, कुछ तो रहम कर…
या रब्बा, मुझ पर भी तेरी नज़र हो…
मेरी ज़िंदगी में भी तू हाज़िर हो…
बस इतना ही मागूँ…
और तेरी रहमत में पाऊँ… या रब्बा…
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