Saturday, October 11, 2025

काली रात

 काली रात से ही होती थी मेरे दिल की बात  

तू ना रहता तो कौन था इस तन्हा दिल के साथ  

सूरज से था कहता जा के भेज मेरे दोस्त को  

फिर सुन के मेरी बात सूरज भेजता था रात को  

और लगता मुझे सूरज सो गया करके आँखें बंद बंद  

पर खुद भी आता वो देखने मुझे बनके चाँद चाँद  

सूरज भी आता देखने मुझे बनके चाँद चाँद  


-- गणेश

No comments:

Post a Comment